शाहजहांपुर में बाबा उमाकान्त जी महाराज ने की जीवात्मा का मुक्ति-मोक्ष का रास्ता नामदान की अमृत वर्षा
अभी आ रही है खबर शाहजहांपुर से जहां उज्जैन वाले पूज्य सन्त बाबा उमाकांत जी महाराज ने देवी-देवताओं के दर्शन-दीदार का रास्ता नामदान की अमृत वर्षा की और भक्तों को अमोलक मनुष्य शरीर पाने उद्देश्य भी बताया। महाराज जी ने बताया कि-
- मनुष्य शरीर पाने का उद्देश्य है जीते जी प्रभु को प्राप्त करना।
- अगर इस मनुष्य शरीर को खाने-पीने, मौज-मस्ती में लगाये रहोगे तो आखरी समय पर बहुत तकलीफ होगी।
- करोड़ों जन्मों में भटकने के बाद, नर्कों में मार खाने के बाद, सांप, बिच्छू आदि नाना प्रकार की योनियों मे सजा भोगने के बाद यह मनुष्य आपको शरीर मिला। यह मनुष्य शरीर दोबारा मिलने वाला नहीं,कोटि जनम जब भटका खाया, तब यह नरतन दुर्लभ पाया।
- जो मनुष्य शरीर मिला है बेकार चला जाएगा इसलिए नामदान दे देता हूँ। विदेशों में भी जाता हूँ। वहां थोड़े ही लोग मिलते हैं उनको भी नामदान दे देता हूं क्योंकि इस समय पर किसी के जीवन का भरोसा नहीं है। इसलिए नाम दान दे देता हूं अगर शरीर छूट भी जाएगा तो अगला जन्म मनुष्य शरीर मिल जाएगा।
- काल इंतजार कर रहा है की जैसे इनकी सांसों की पूंजी खत्म हो, हम अपने चपेट में ले ले।
6.जितने भी चर-अचर के जीव जंतु हैं सब इस मनुष्य शरीर को मांगते रहते हैं इसलिए सबको नामदान दे देता हूं।
महाराज जी ने कहा जयगुरुदेव नाम ध्वनि बराबर बोलने से बीमारियों में राहत कमाई में बरकत घर मे सुख शांति का अनुभव करेंगे।