किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (KGMU) द्वारा 989 KGMU स्वास्थ्य कर्मियों और लगभग 500 प्लाज़्मा दाताओं पर किए गए एक एंटीबॉडी परीक्षण में पाया गया है कि वैक्सीन लगने के बाद बनने वाली एंटीबॉडी अधिक मज़बूत और लंबे समय तक चलती हैं, जबकि संक्रमण के बाद उत्पन्न हुई एंटीबॉडीज़ चार महीने से भी कम समय में ख़त्म हो जाती हैं।

अध्ययन में आगे ये भी पाया गया कि हर्ड इम्यूनिटी जो वायरस की चैन को तोड़ सकती है, वह प्राकृतिक संक्रमण के संचरण से नहीं बल्कि सिर्फ सामूहिक टीकाकरण की मदद से ही हासिल की जा सकती है।

दो हिस्सों में हुए अध्ययन में, 989 स्वास्थ्य कर्मियों में क्लास-4 के कर्मचारी शामिल थे, जिसमें ऐसे जूनियर डॉक्टर, कर्मचारी और वरिष्ठ संकाय सदस्य थे जिनमें से 869 (88%) में एंटीबॉडीज़ थीं। 869 में से, लगभग 73% कर्मचारियों ने वैक्सीन की दोनों डोज़ ले ली थीं और 13% लोगों ने सिर्फ एक ही ली थी। बाकी वे लोग थे, जिन्होंने वैक्सीन नहीं लगवाई थी, लेकिन बीते कुछ महीनों में उन्हें कोविड-19 संक्रमण हुआ था।

लगभग 61 स्वास्थ्य कर्मियों में वैक्सीन की दोनों खुराक लेने के बावजूद पर्याप्त एंटीबॉडीज़ विकसित नहीं हुई थीं। इसी तरह, 25 कर्मचारी ऐसे थे, जिन्होंने ख़ुराक तो ली थी लेकिन उनमें एंटीबॉडीज़ विकसित नहीं हुई थीं। बाकी जिन लोगों में एंटीबॉडीज़ की कमी थी, उन्हें अभी तक वैक्सीन नहीं लगाई थी।

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