रांची: श्री महेंद्र सिंह धोनी ने बिजनेस पार्टनेर मिहिर दिवाकर पर धोखाधड़ी का आरोप लगाया।
महेंद्र सिंह धोनी ने अरका स्पोर्ट स्पोरिस् एंड मैनेजमेंट लिमिटेड के निदेशक मिहिर दिवाकर और सौम्य दास के खिलाफ रांची सिविल कोर्ट मे आपराधिक मामला दर्ज करवाया है ।
दर्ज मामले मैं श्री धोनी ने मिहिर दिवाकर पर १५ करोड़ रुपये से अधिक का नुकसान पहुँचने का आरोप लगाया है।
शुक्रवार को न्यायिक दंडाधिकारी राजकुमार पांडेय की अदालत मे मामले की सुनवाई ही। धोनी की ओर से प्रतिनिधि सीमांत लोहानी (चित्तू) का बयान शपत् पत्र पर दर्ज किया गया।
श्री सीमांत लोहानी जी ने मिहिर दिवाकर व सौम्या दास के लगाए गये आरोपों के बारे ममें बयान दर्ज करवाया।
मामले की अगली सुनवाई के दौरान शिकायतकर्ता को आरोप के संबंध में साक्श प्रस्तुत करना है। मामले की सुनवाई २०जनवरी २०२५ को होगी। श्री धोनी ने अपने प्रतिनिधि श्री लोहानी को मामला दर्ज करने का अधिकार दिया है।
श्री लोहानी ने ऑक्टोबर २०२३ में क्रिमिनल कंप्लैन दर्ज कराया था।
दरअसल मिहिर दिवाकर ने कथित तौर पर दुनिया भर में क्रिकेट अकादमी खोलने के लिए २०१७ में महेंद्र सिंह धौनी के साथ एक समझौता पर हस्ताक्षर किए थे पर दिवाकर ने समझौता में बताई गई शर्तों का पालन नहीं किया।श्री एमएस धौनी ने भारतीय दंड संहिता की धारा 406, 420, 467, 468, 471 और 120-बी के तहत जिला न्यायालय रांची के सक्षम न्यायालय में १.आरका स्पोर्ट्स मैनेजमेंट प्राइवेट लिमिटेड २. मिहिर दिवाकर निदेशक और ३. सौम्या दास निदेशक,आरका स्पोर्ट्स के खिलाफ आपराधिक मामला दायर किया। मैनेजमेंट प्राइवेट लिमिटेड १५.०८.२१ को एमएस धौनी द्वारा अधिकार रद्द करने के बाद भी मिहिर दिवाकर ने एमएस धौनी के नाम का उपयोग करके भारत और विदेशों में कई क्रिकेट अकादमी खोली और एमएस धोनी क्रिकेट अकादमी, एमएस धोनी स्पोर्ट्स अकादमी के लिए फ्रेंचाइजी के पैसे लिए और एमएस धोनी के साथ धोखाधड़ी की। धौनी के वकील दयानंद सिंह ने दावा किया कि मिहिर व अन्य ने उनके साथ धोखाधड़ी की है, जिससे उन्हें १५ करोड़ से अधिक का नुकसान हुआ है। इस मामले में आकाश भारत को फ्रेंचाइजी का शुल्क भुगतान करना था। समझौते के तहत प्रॉफिट शेयर करना था पर समझौते के सभी नियम और शर्तों की धज्जियां उड़ा दी गई। महेंद्र सिंह धौनी ने १५ अगस्त २०२१ को आर भारत से अथॉरिटी लेटर वापस ले लिया व धोनी की ओर से कई कानूनी नोटिस भेजे गए लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ इसके बाद केस दर्ज किया गया।