भारत में गजराज को ईश्वर माने जाते हैं। हर सनातनी आस्था वाला भारतीय, हांथी में गणपति की छवि देखता है। मुझ जैसे प्रकृति व जीव प्रेमी के लिए आज की सुबह दिव्य अनुभूतियों में अभिसंचित आशीर्वाद सा था।
मथुरा शहर से तीस किलोमीटर दूर हांथियों की ऐसी तपस्थली में जाने का अवसर मिला जिसे
एक स्वयंसेवी संस्था, Wild Life SOS ने बसाया है। यह संस्था ऐसे हाँथियों की सेवा में लीन है जो बीमार हैं, अंधे हो गए हैं, या जिनके अंग टूटे हैं, जो बीमार अवस्था में पाए गए या शोषण से मुक्त कराए गए हैं, ऐसे लगभग 28 हाँथी यहां पर हैं। उनके लिए अस्पताल है, भोजन है, सेवा के लिए सहायक हैं। यहाँ की व्यवस्था और सेवा भाव देख मन विभोर हो गया।
कभी हांथी की उपस्थिति शादी ब्याह में, त्योहार में सबसे मांगलिक मानी जाती थी। आज हांथी कम दिखते हैं। अब ज़ू में, सर्कस में भी हांथी नही हैं।
हांथी विश्व के प्राचीनतम प्राणी हैं। आज इनके संरक्षण का दायित्व हम सबका भी उतना ही है जितना कि सरकार का, वन विभाग का, या जीव प्रेमी संस्थाओं का।
ये संस्थाएं आर्थिक सहायता के बल पर ही चलती हैं। मैंने आज अपना दायित्व पूर्ण किया।
यह सृष्टि तभी सुंदर मानी जायेगी जब इसके सभी अंग स्वस्थ और सुंदर होंगे।
वन और जीव सबकी रक्षा हमारा सनातनधर्म है।