मोदी का मास्टरस्ट्रोक
प्रधानमंत्री मोदी ने अपना मंत्रिमंडल विस्तार किया लेकिन ये विस्तार नहीं अपितु अमूल चूल परिवर्तन है। लगभग 80 % मंत्रिमंडल परिवर्तित हो चुका है। जिन मंत्रियों को परिवर्तित नहीं किया गया उनमे से भी कुछ के विभाग परिवर्तित हो गए हैं। इसे 2022 में होने वाले कुछ प्रदेशो के चुनावो से जोड़कर भी देखा जा रहा है लेकिन असल में 2024 की तैयारी है। जहाँ विपक्ष 2022 की भी तैयारी नहीं कर पा रहा वहीँ मोदी ने 2024 की भी तैयारी कर ली है। मंत्रिमंडल में 27 पिछड़े चेहरे हैं 20 दलित आदिवासी और 11 महिलायें हैं

मोदी की नई कैबिनेट में 12 मंत्री दलित समुदाय से हैं इनमें से हर मंत्री अलग SC कम्युनिटी से है। दलित मूवमेंट के नाम पर मुख्य रूप से सारा लाभ जाटव समाज ने उठाया था लेकिन मोदी सरकार ने कोरी पासी खटीक मेघवाल बैरवा जैसी दलित जातियों को भी केंद्रीय मंत्रिमंडल में प्रतिनिधित्व दिया है। वहीं, 8 मंत्री शेड्यूल ट्राइब्स (ST) से हैं। 27 मंत्री पिछड़ी जाति के हैं इसमें भी अति पिछड़ी जाति के दर्जी, कोली, पाल भी शामिल हैं। पिछडो में कुर्मी अहीर लोध को भी अच्छा प्रतिनिधित्व दिया गया है। करनी समुदाय के 3 मंत्री बने हैं। वहीँ कर्णाटक से बोक्कालिंगा और गुजरात से कडुआ और लेहुए पटेल दोनों लिए गए हैं। कुछ जातियां तो ऐसी हैं जिन्हे स्वतंत्रता के बाद प्रथम बार केंद्रीय मंत्रिमंडल में स्थान मिला है। और इस मंत्रिमंडल पर तथाकथित मनुवाद की कोई छाप नहीं है। इस मंत्रिमंडल से “अबकी बार, ओबीसी सरकार’ का सन्देश दिया गया है। इस मंत्रिमंडल विस्तार से मोदी ने लगभग 80 % हिन्दू जनसँख्या को साध लिया है। मोदी को हराना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन होता जा रहा है।

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