मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने कहा कि प्रदेश सरकार शिक्षा क्षेत्र के उन्नयन के लिए प्रतिबद्धता से कार्य कर रही है। शिक्षा सशक्त समाज और समर्थ राष्ट्र की आधारशिला होती है। जब समाज आगे होता है तथा सरकार उसका संबल बनती है, तो समाज नित नए प्रतिमान स्थापित करता है। समाज स्वावलम्बन और आत्मनिर्भरता के लक्ष्य को प्राप्त करता है। समाज के अग्रगामी बनने से भारत विश्व गुरु के रूप में स्थापित हुआ। अब समाज जागरूक हो चुका है तथा आगे बढ़ाने के लिए प्रेरित हो चुका है। इसका परिणाम हम सभी को देखने को मिल रहा है।
मुख्यमंत्री जी आज जनपद कौशाम्बी में महेश्वरी प्रसाद इण्टरमीडिएट कॉलेज के संस्थापक प्रबन्धक स्व0 श्री देवेन्द्र नाथ श्रीवास्तव जी की स्मृति में विद्यालय के वार्षिक दिवस समारोह के अवसर पर अपने विचार व्यक्त कर रहे थे। उन्होंने कहा कि आज से 06 दशक पूर्व जनपद कौशाम्बी के ग्राम आलमचंद में पूर्वजों की धरोहर संरक्षित करने तथा इस परम्परा को स्मृतियों में बनाए रखने के लिए तत्कालीन प्रख्यात अधिवक्ता स्व0 श्री देवेंद्र नाथ श्रीवास्तव जी ने इस विद्यालय को प्रारम्भ किया था। उनके मन में परोपकार तथा जनसेवा का भाव था। उनका सपना महेश्वरी प्रसाद इण्टरमीडिएट कॉलेज के रूप में सबके सामने है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि प्रोजेक्ट अलंकार के अंतर्गत सरकारी तथा सरकार द्वारा वित्त पोषित विद्यालयों के भवन निर्माण में सहयोग करने की व्यवस्था की गई है। इसके अन्तर्गत 75 से 90 प्रतिशत धनराशि की व्यवस्था सरकार द्वारा तथा 10 से 25 प्रतिशत धनराशि की व्यवस्था विद्यालय प्रबन्धन को करनी पड़ती है। प्रोजेक्ट अलंकार के अंतर्गत महेश्वरी प्रसाद इण्टरमीडिएट कॉलेज का भी चयन हुआ है। प्रदेश सरकार द्वारा विद्यालय के भवन को और अधिक उत्कृष्ट बनाने के लिए धनराशि प्रदान करने की व्यवस्था की गई है। नए क्लासरूम, लैब्स तथा लाइब्रेरी आदि निर्मित करने में इस धनराशि का प्रयोग किया जाएगा। मुख्यमंत्री जी ने जनपद कौशाम्बी के जिलाधिकारी को निर्देशित किया कि यहां के विद्यार्थियों की उच्च शिक्षा की व्यवस्था हेतु महाविद्यालय निर्माण के लिए प्रस्ताव उपलब्ध कराएं, जिससे यहां के बच्चों को शिक्षा की उत्तम व्यवस्था मिल सके। उन्होंने कहा कि इलाहाबाद विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो0 संगीता श्रीवास्तव का महाविद्यालय के निर्माण में मार्गदर्शन मिलेगा। यह महाविद्यालय इस क्षेत्र की उच्च शिक्षा का केंद्र बन सकेगा।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि श्रीरामचरितमानस, श्रीमद्भागवत गीता जैसे प्राचीन भारतीय ग्रंथ ‘श्रद्धावान लभते ज्ञानम्’ का संदेश देते हैं। अर्थात श्रद्धा के बिना ज्ञान नहीं प्राप्त हो सकता। विद्यालय के संस्थापक प्रबंधक के प्रति हम सभी के मन में श्रद्धा तथा कृतज्ञता का भाव होना चाहिए। यह विद्यालय जनपद कौशाम्बी के बच्चों के लिए शिक्षा का उत्तम स्थानीय केंद्र है। उन्होंने कहा कि उन्हें यह जानकर प्रसन्नता हुई कि इस विद्यालय में 2,526 विद्यार्थी अध्ययनरत हैं। इसमें 1,353 बालिकाएं सम्मिलित हैं। यह शुभ संकेत है कि बालिकाएं भी बड़ी संख्या में विद्यालय अध्ययन के लिए आ रही हैं। विगत 59 वर्षों में हजारों विद्यार्थियों ने इस विद्यालय में शिक्षा प्राप्त की है। यहां से शिक्षा प्राप्त कर वे सभी विभिन्न क्षेत्रों में अपनी सेवाएं दे रहे हैं। आज वे सभी जो भी कार्य करने में सक्षम हैं, उसके पीछे मां-बाप और इस विद्यालय का योगदान है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि व्यक्ति अपने परिश्रम और पुरुषार्थ से ऊंचाई प्राप्त करता है। यदि व्यक्ति पूरी निष्ठा और लगन से कार्य करता है तो बड़ी से बड़ी मंजिल प्राप्त कर सकता है। इस दृष्टि से विश्वविद्यालय प्रबंधन का उदाहरण आप सबके सामने है। प्राचीन भारतीय गुरुकुल परम्परा में दीक्षांत समारोह विश्वविद्यालयों और गुरुकुलों के समावर्तन समारोह का ही परिवर्तित रूप है। उस समय के समावर्तन समारोह का मूल उद्देश्य तैत्तिरीय उपनिषद में वर्णित है। सत्यं वद, धर्मं चर का तात्पर्य सत्य बोलो तथा धर्म का आचरण करो। मातृदेवो भवः, पितृदेवो भवः, आचार्यदेवो भवः, अतिथिदेवो भवः इन सभी का पालन करते हुए देवो भवः का तात्पर्य इन सभी के प्रति कृतज्ञता का भाव होना है। यदि किसी ने आपके लिए कुछ भी किया है, तो उसके द्वारा किए गए कार्य के प्रति कृतज्ञता का भाव होना चाहिए। शिक्षा व्यवस्था में निजी क्षेत्र का बहुत बड़ा योगदान रहा है। विभिन्न स्थानों पर स्थापित निजी शिक्षा के केंद्र सामाजिक योगदान से निर्मित हुए हैं। इन संस्थाओं की स्थापना से आने वाली पीढ़ी समाज और राष्ट्र के लिए योगदान दे सकेगी।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के मार्गदर्शन में देश में राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 लागू की गई है। इसके अंतर्गत विद्यार्थियों को सामान्य पाठ्यक्रम के साथ-साथ स्किल डेवलपमेंट के लिए अन्य पाठ्यक्रमों से जोड़ना चाहिए। इससे विद्यार्थी विभिन्न विधाओं में पारंगत होकर आगे बढ़ाने के लिए प्रेरित हो सकेंगे। एक जनपद एक उत्पाद योजना के अंतर्गत जनपद के विशिष्ट उत्पाद का चयन किया जाता है। इसमें रोजगार की अनंत संभावनाएं होती हैं। इसमें नवाचार और शोध की भी अनेक संभावनाएं हैं। इसके शोध और नवाचार का केंद्र विद्यालयों को बनाना चाहिए।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि पी0एम0 विश्वकर्मा योजना परम्परागत हस्तशिल्पियों और कारीगरों के प्रशिक्षण के लिए उपयोगी साबित हो रही है। विद्यालयों को इस योजना का उपयोग करना चाहिए। यह विद्यार्थियों को परम्परागत हस्तशिल्प और उत्पादों से जोड़ने में मदद करेगी। भारत में विगत 09 वर्षों में खेल के क्षेत्र में नए प्रतिमान गढ़े हैं। देश के खिलाड़ी ओलम्पिक, एशियन गेम्स आदि खेलों में उत्कृष्ट प्रदर्शन कर रहे हैं। एशियन गेम्स में भारत के खिलाड़ियों को 100 से अधिक पदक प्राप्त हुए। यह हमारे सामर्थ्य को व्यक्त करता है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि भारतीय मनीषा ने कहा था कि ‘शरीरमाद्यं खलु धर्म साधनम्’ अर्थात जितने भी धर्म के साधन हैं, वह सभी स्वस्थ शरीर से सम्भव हो सकते हैं। इसलिए स्वयं को शारीरिक मानसिक रूप से स्वस्थ रखना चाहिए। विद्यालय में पढ़ाई-लिखाई के साथ खेलकूद की गतिविधियों को भी आगे बढ़ना चाहिए। राज्य सरकार द्वारा प्रदेश के प्रत्येक जनपद में एक स्टेडियम, प्रत्येक विकासखण्ड में एक मिनी स्टेडियम तथा प्रत्येक ग्राम पंचायत में खेल का मैदान व ओपन जिम निर्मित किया जा रहा है। युवक मंगल दल और महिला मंगल दल को स्पोर्ट्स किट्स उपलब्ध कराई जा रही हैं। इन गतिविधियों के साथ स्कूल, कॉलेज और संस्थाओं को जोड़ना पड़ेगा। सांस्कृतिक गतिविधियों को मंच प्रदान करना पड़ेगा। प्रतिभा को मंच की आवश्यकता होती है। यहां बालिकाओं द्वारा गाया गया राष्ट्रगीत स्वागत गीत सांस्कृतिक गतिविधि का हिस्सा है। संकोच दूर कर कार्य करने से बड़े से बड़ा लक्ष्य प्राप्त किया जा सकता है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा की विद्यार्थी सामान्य पाठ्यक्रम के अध्ययन के साथ-साथ पुस्तकालय जाने की आदत डालें तथा समाचार पत्रों का अध्ययन करें। ज्ञान में संवर्धन करने वाली नई-नई पुस्तकों का अध्ययन करें। इससे आगे बढ़ाने की प्रेरणा प्राप्त होगी तथा सफलतम कहानियों को जानने का अवसर प्राप्त होगा। प्रदेश सरकार डिजिटल लाइब्रेरी स्थापित करने में सहयोग कर रही है, विद्यालय को केवल पहल करनी है।
सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति श्री विक्रम नाथ ने कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए कहा कि यह विद्यालय विगत 60 वर्षों की मेहनत का परिणाम है। वर्ष 1964 में इस विद्यालय की स्थापना की गई थी। उस समय यहां पर कोई भी विद्यालय नहीं था। प्राथमिक विद्यालय के रूप में इस विद्यालय की स्थापना हुई। धीरे-धीरे आज यह इण्टर कॉलेज तक पहुंच चुका है। इस विद्यालय में वर्तमान में 2,526 बच्चे पढ़ रहे हैं। प्रत्येक वर्ष स्व0 देवेन्द्रनाथ श्रीवास्तव जी की स्मृति में कार्यक्रम आयोजित किया जाता है। इस विद्यालय में पढ़े हुए बहुत से बच्चे विभिन्न पदों पर सेवाएं दे रहे हैं। उन्होंने मुख्यमंत्री जी को स्मृति चिन्ह भेंट किया।
इलाहाबाद विश्वविद्यालय की कुलपति प्रोफेसर संगीता श्रीवास्तव ने मुख्यमंत्री जी को अभिनन्दन पत्र भेंट किया। उन्होंने विश्वविद्यालय की कॉफी टेबल बुक भी भेंट की।
इस अवसर पर जलशक्ति मंत्री श्री स्वतंत्र देव सिंह सहित अन्य जनप्रतिनिधिगण, प्रमुख सचिव मुख्यमंत्री गृह एवं सूचना श्री संजय प्रसाद तथा शासन-प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।

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