निशिकांत दुबे ने शीर्ष अदालत को निशाना बनाते हुए कहा था कि यदि सुप्रीम कोर्ट को ही कानून बनाना है तो संसद एवं विधानसभाओं को बंद कर देना चाहिए। उन्होंने सीजेआई संजीव खन्ना पर निशाना साधते हुए उन्हें देश में ‘सिविल वॉर’ के लिए जिम्मेदार ठहराया था। हालांकि बीजेपी ने दुबे के बयान से खुद को अलग कर लिया। लेकिन कानून के जानकार इसे सुप्रीम कोर्ट की अवमानना के तौर देख रहे हैं।  

शीर्ष अदालत ने सोमवार को एक याचिकाकर्ता से कहा कि उसे सुप्रीम कोर्ट और सीजेआई संजीव खन्ना की आलोचना करने को लेकर बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे के खिलाफ अवमानना ​​याचिका दायर करने के लिए बेंच की अनुमति की आवश्यकता नहीं है। इस मामले का उल्लेख जस्टिस बी. आर. गवई और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की बेंच के सामने किया गया। याचिकाकर्ता के वकील ने दुबे की टिप्पणियों के बारे में हाल में आए एक समाचार का हवाला दिया और कहा कि वह अदालत की अनुमति से अवमानना ​​याचिका दायर करना चाहते हैं। जस्टिस गवई ने कहा, ‘‘आप इसे दायर करें। दायर करने के लिए आपको हमारी अनुमति की आवश्यकता नहीं है।’’

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