*बेंगलुरु( साहित्य 24 समाचार) – वरिष्ठ साहित्यकार स्वर्गीय सत्यदेव नारायण अष्ठाना जी की जयंती के शुभ अवसर पर शरद पूर्णिमा दिनांक 16 अक्टूबर शाम 7:00 बजे स्पर्श भारती मंच के चारों इकाई के तत्वाधान में आनलाईन कवि गोष्ठी का आयोजन किया गया। गोष्ठी की शुरुआत आदरणीया एडवोकेट अंजु भारती श्री सत्यदेव नारायण अष्ठाना जी की पुत्री ने स्वागत उद्बोधन किया एवं उनके साथ बिताए पल को याद करते हुए श्रद्धा सुमन अर्पित किए। अंजु भारती जी ने अपने पिता स्वर्गीय सत्यदेव नारायण अष्ठाना जी की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर दीप प्रज्ज्वलित किया और मां सरस्वती को पटल पर बिठाया । आदरणीय श्रीमती आशा चौधरी जी ने माल्यार्पण कर दीप प्रज्ज्वलित कर अपने मधुर स्वर में सरस्वती वंदना की।ऐसा लगा मानो मां सरस्वती को साक्षात पटल पर बिठा दिया। आदरणीय डॉ सविता चड्ढा जी की अध्यक्षता में कार्यक्रम की शुरुआत हुई। उन्होंने अपनी कविता पिता के साथ बिताए पल को याद कर श्रद्धा सुमन अर्पित किए।
गोष्ठी के मुख्य अतिथि आदरणीय श्री हरेंद्र सिन्हा जी ने अपने उद्बोधन
‘बहुत याद आती है ,बाबू जी तेरी,
लोगों के दिल में ,यादें हैं तेरी।’
सुनाकर श्रद्धा सुमन अर्पित किये । सोशल एंड मोटिवेशनल ट्रस्ट के संस्थापक आज के गोष्ठी के विशिष्ठ अतिथि आदरणीय श्री रविंद्रनाथ सिंह जी ने
अपनी कविता पिता पर समर्पित कर श्रद्धा सुमन अर्पित किए ।
गोष्ठी के विशिष्ट अतिथि आदरणीय श्री प्रबल प्रताप सिंह राणा ‘प्रबल’ जी ने पिता को याद करते हुए अपनी कविता ” मेरा अस्तित्व आपसे है मेरे जनक पिताश्री, मुझे दुनिया मे लाने वाले देव सदृश पिताश्री ” से श्रद्धा सुमन अर्पित किये। आदरणीय श्रीमती अरुणा राणा जी ने स्वर्गीय श्री सत्यदेव नारायण अष्ठाना जी पर अपनी कविता “आकाशवाणी में नियुक्त हुए तो आलेखक बने, अपनी रचनाओं से उत्कृष्ट लेखक बने , ‘ये गीत हमारे अपने हैं’ की हर रचना को प्रणाम ” प्रस्तुत कर श्रद्धा सुमन अर्पित कर बहुत ही सुंदर श्रद्धांजलि दी ।गोष्ठी का संचालन एडवोकेट अंजु भारती , आदरणीय डॉ मीना कुमारी परिहार मान्या, डॉ ऋचा पाठक जी ने उत्कृष्ट उद्बोधन से गुंजायमान किया। आदरणीय सूबेदार रामस्वरूप कुशवाहा जी ने अपनी कविता
“पिता तो आखिर होता है पिता।
देता है खुशियां बच्चों को लेट कर भी चिता।।
पिता तो आखिर होता है पिता।।”
सुनाकर श्रद्धा सुमन अर्पित किया। आदरणीय श्री ज्ञानचंद मर्मज्ञ जी,श्रीमती नीलम मिश्रा, डॉ ऋचा पाठक, डॉ शैलजा रोला, श्रीमती रश्मि पाठक जी ने पिता पर कविता सुनकर श्रद्धा सुमन अर्पित किया। श्रीमती विनीता लावनिया जी ने अपने उद्बोधन में पिता को श्रद्धा सुमन अर्पित कर बहुत ही सुंदर सा भजन सुनाया। अन्य सभी ने भी पिता पर अपनी कविता सुना कर उन्हें श्रद्धा सुमन अर्पित किए। गोष्ठी में आदरणीय डॉ सुनील कुमार उपाध्याय ने अपना स्व रचित गीत सुना कर श्रद्धा सुमन अर्पित किया। आदरणीय श्री प्रभात वर्मा दैनिक दस्तक प्रभात के संपादक जी ने अष्ठाना जी के साथ बिताए पलों को याद कर उन्हें श्रद्धा सुमन अर्पित किये ।डॉ मधुबाला सिन्हा जी ने अपनी कविता
“कैसा लगता होगा उस मां को जिसके दूध के खिलाफ
खड़ा हो अपने हृदय का बोलता प्यार” सुना कर श्रद्धा सुमन अर्पित किया।
अष्ठाना जी की बड़ी बेटी श्रीमती रंजु सिन्हा जी ने पिता पर कविता सुनकर उन्हें श्रद्धा सुमन अर्पित किया , बेंगलुरु कर्नाटक से श्रीमती गीता चौबे गूंज ने अपनी कविता पिता पर सुना कर उन्हें श्रद्धा सुमन अर्पित किये। सोशल एंड मोटिवेशनल ट्रस्ट की राष्ट्रीय अध्यक्ष आदरणीय श्रीमती ममता सिंह ने बहुत ही सुंदर दोहे सुना कर श्रद्धा सुमन अर्पित किये ,भगवती सक्सेना जी ने अपनी कविता पिता पर सुना कर उन्हें श्रद्धा सुमन अर्पित किये , आदरणीय डॉ मीना कुमारी परिहार मान्या जी ने स्वर्गीय श्री सत्यदेव नारायण अष्ठाना जी के व्यक्तित्व एवं कृतित्व को याद करते हुए उनके बताए रास्ते पर चलकर बहुत ही सुंदर कविता के द्वारा उन्हें श्रद्धा सुमन अर्पित किए।
श्रीमती आशा चौधरी जीने अष्ठाना जी के साथ बिताए पलों को उनसे सीखी कुछ बातों को याद करते हुए अपनी कविता पिता पर सुनाकर उन्हें श्रद्धा सुमन अर्पित किया। श्रीमती सुधा पाण्डेय ने अपनी कविता पिता पर सुनाकर उन्हें श्रद्धा सुमन अर्पित किये ।यह गोष्ठी लगभग 3 घंटे चली ।आदरणीय श्री हरेंद्र सिन्हा जी ने अपने आभार उद्बोधन से गोष्ठी का समापन किया।
साहित्य 24 / प्रवल प्रताप सिंह राणा “प्रवल”